जानिए गाड़ी का टायर काले रंग का ही क्यों होता है, सफेद या गुलाबी कर दें तो कैसे हो जायेगा बवाल !

By Divy Auto Desk

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भारत में लोगों के पास आपको बाइक, गाड़ी या स्कूटर काफी रंग बिरंगी मिल जाएंगी लेकिन कभी आपने सोचा है कि गाड़ी के टायर का रंग हमेशा काला ही क्यों होता है और इसके स्थान पर सफेद, गुलाबी या किसी और रंग का क्यों नहीं होता है और अगर दूसरे रंग का हो भी जाए तो इससे क्या बवाल हो जायेगा, आज हम आपको इसी की पूरी जानकारी इस लेख में देंगे कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी है कि अधिकतर वाहनों के टायर का रंग काला होता है।

जानिए गाड़ी का टायर काले रंग का ही क्यों होता है !

गाड़ी के टायर का रंग काला ही क्यों होता है इस बात को जानने से पहले आपको इसका पूरा इतिहास जानने की आवश्यकता है, दरअसल आपको यह तो पता ही होगा जो टायर का मैटेरियल होता है वो रबर होता है तो आज से तकरीबन 125 वर्ष पूर्व जब सबसे पहले गाड़ी का टायर बनाया गया था तो रबर का प्राकृतिक रंग पीला होने के कारण टायर का रंग भी पीला हो गया था।

लेकिन यह ज्यादा वजन उठाने में सक्षम नहीं था और बहुत जल्दी घिस भी जा रहा था फिर कुछ बुद्धि जीवियों ने इसे थोड़ा ठोस बनाने के लिए इसमें Zinc Oxide को मिला दिया। लेकिन यह नुस्खा भी कारगर सिद्ध नहीं हुआ और अब गाड़ी लगभग 8000 KM तक चल जा रही थी। पहले से सहूलियत थी लेकिन संतुष्टि नहीं समय के साथ BFGoodrich नामक अमेरिकी कंपनी ने इसमें क्रूड आयल से निकलने वाले सस्ते कार्बन को मिलाया जिसके बाद मानो चमत्कार ही हो गया जो टायर पहले 8 हजार किलोमीटर में दम तोड़ दे रहा था वो अब 40 से 50 हजार किलोमीटर तक बढ़िया से चलने लगा।

अब टायर की परफॉर्मेंस में तो सुधार आ चुका था लेकिन इसका रंग रूप कार्बन के मिल जाने से पूरा काला हो गया था अब अच्छी परफॉर्मेंस को देखते हुए बुद्धिजीवियों ने इसमें परिवर्तन किए लेकिन परिणाम अच्छे नहीं मिले, आइए जानते हैं कैसे।

गाड़ी के टायर को सफेद या गुलाबी कर दें तो कैसे हो जायेगा बवाल !

ऐसा नहीं है गाड़ी के टायर को रंग बिरंगा करने की तरकीब कंपनी ने न अपनाई हो, दरअसल अभी आने वाली गाड़ियों के टायर की लाइफ और बढ़ चुकी है कारण है कार्बन के साथ सल्फर का मिला होना जिससे अब 1 लाख किलोमीटर की भी टायर लाइफ मिल जा रही है।

जानिए गाड़ी का टायर काले रंग का ही क्यों होता है, सफेद या गुलाबी कर दें तो कैसे हो जायेगा बवाल !

लेकिन टायर का रंग बदलने से सल्फर और कार्बन की मात्रा को टायर में से कम करना पड़ता है, ऐसा करने से टायर की मजबूती खतम हो जाती है इसीलिए आपको साइकिल से लेकर कार तक के टायर काले देखने को मिलते हैं, हालांकि बच्चों की छोटी साइकिल में आपको रंग बिरंगे टायर देखने को मिल जाते हैं क्योंकि उन्हें टायर की लाइफ से अधिक प्रिय उसका आकर्षक रंग होता है।

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